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हनुमान जयंती 2025: संकटमोचन की आराधना का पर्व

हनुमान जयंती

भारतवर्ष की धर्मपरंपराओं में हनुमान जयंती का स्थान अद्वितीय है। यह पर्व केवल एक महापुरुष के जन्मदिवस की स्मृति नहीं, बल्कि शक्ति, भक्ति और सेवा की आराधना का उत्सव है। जब-जब मानवता पर संकट आया, श्रीराम के अनन्य सेवक हनुमान जी ने असुरों का नाश कर धर्म की रक्षा की।

हनुमान जयंती

हनुमान जयंती 2025: जानिए कब है भगवान बजरंगबली का जन्मोत्सव, क्या है शुभ मुहूर्त और कैसे करें पूजन

हनुमान जयंती 2025 इस वर्ष शनिवार, 12 अप्रैल को मनाई जाएगी, क्योंकि पूर्णिमा तिथि का आरंभ 12 अप्रैल की सुबह 3:20 बजे से होकर समापन 13 अप्रैल की सुबह 5:52 बजे तक हो रहा है। उदया तिथि के अनुसार पर्व 12 अप्रैल को ही मनाया जाएगा।

इस दिन भगवान हनुमान की पूजा के लिए दो विशेष शुभ मुहूर्त बन रहे हैं:

  • प्रातः काल: सुबह 7:35 से 9:11 मिनट तक
  • सायंकाल: शाम 6:45 से रात 8:08 मिनट तक

भगवान हनुमान की पूजा इस दिन विशेष फलदायक मानी जाती है। भक्त लाल वस्त्र धारण कर, सिंदूर, चोला, तुलसी, और बूंदी के लड्डू चढ़ाकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

👶 हनुमान जी का जन्म: पवनपुत्र की अद्भुत कथा

हनुमान जी का जन्म अंजना देवी और वानरराज केसरी के पुत्र रूप में हुआ। अंजना देवी ने शिव भक्ति से तपस्या कर संतान की प्राप्ति की थी।
वहीं, कहा जाता है कि जब राजा दशरथ ने पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया तो अग्निदेव द्वारा दिया गया अमृत खीर का अंश पवनदेव के माध्यम से अंजना तक पहुंचा, जिससे हनुमान जी का दिव्य जन्म हुआ।

इसलिए उन्हें शंकर-सुवन, पवनपुत्र, केसरीनंदन, और मारुति जैसे कई नामों से पुकारा जाता है।

🙏 हनुमान जयंती की पूजा विधि | पूजन कैसे करें?

हनुमान जयंती के दिन भक्त दिन भर व्रत रखते हैं और हनुमान जी के समक्ष भक्ति भाव से पूजन करते हैं:

🪷 पूजन विधि:

  1. प्रातःकाल स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें।
  2. मंदिर या घर में हनुमान जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  3. उन्हें लाल फूल, सिंदूर, चमेली का तेल, और गुड़ चने का भोग अर्पित करें।
  4. हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, और सुंदरकांड का पाठ करें।
  5. शाम को घी का दीपक जलाकर आरती करें।

व्रत का महत्व:
इस दिन व्रत रखने से मन की चंचलता दूर होती है, और जीवन में साहस, शौर्य व भक्ति का संचार होता है।

🔱 हनुमान जी से क्या सीखें?

गुणजीवन में महत्व
भक्तिबिना किसी शर्त भगवान श्रीराम के प्रति समर्पण
शक्तिआत्मबल और साहस का प्रतीक
सेवानिःस्वार्थ भाव से दूसरों के लिए काम करना
विवेकसही समय पर सही निर्णय लेना
विनम्रताताकत के साथ नम्रता बनाए रखना

हनुमान जी ने कभी अपने बल का घमंड नहीं किया, बल्कि उसे सदैव श्रीराम की सेवा में लगाया। यही कारण है कि वे अजर-अमर हैं और आज भी भक्तों के हर संकट को हरते हैं।

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🕯️ संपूर्ण हनुमान जी की आरती | Aarti of Hanuman Ji

🔔 आरती कीजै हनुमान लला की
(पूर्ण आरती पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं)

आरती कीजै हनुमान लला की,  
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥

जाके बल से गिरिवर कांपे,  
रोग दोष जाके निकट न झांके॥

अंजनि पुत्र महाबलदायी,  
संतन के प्रभु सदा सहाई॥

दे बीरा रघुनाथ पठाए,  
लंका जारी सिया सुधि लाए॥

लंका सो कोट समुद्र-सी खाई,  
जात पवनसुत बार न लाई॥

लंका जारि असुर संहारे,  
सियारामजी के काज सवारे॥

लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे,  
आनि संजीवन प्राण उबारे॥

पैठि पताल तोरि जम-कारे,  
अहिरावण की भुजा उखारे॥

बाएं भुजा असुर दल मारे,  
दाहिने भुजा संतजन तारे॥

सुर-नर-मुनि आरती उतारे,  
जय जय जय हनुमान उचारे॥

कंचन थार कपूर लौ छाई,  
आरती करत अंजना माई॥

जो हनुमानजी की आरती गावे,  
बसि बैकुंठ परमपद पावे॥

लंकाविध्वंस किए रघुराई,  
तुलसीदास प्रभु कीरति गाई॥

📚 धार्मिक महत्व और मान्यता

  • ऐसा विश्वास है कि हनुमान जी का स्मरण करने मात्र से भूत-पिशाच, बाधाएं, और रोग-दोष दूर हो जाते हैं।
  • उनकी हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करने से मन और मस्तिष्क को शांति मिलती है।
  • हनुमान जयंती के दिन मंगल ग्रह की शांति हेतु भी विशेष पूजा की जाती है।

🎯 निष्कर्ष

हनुमान जयंती केवल एक पर्व नहीं बल्कि आत्मिक बल और शुद्ध भक्ति का दिन है। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हनुमान जी की निष्काम सेवा भावना, विनम्रता, और अडिग विश्वास हमें सही मार्ग दिखाते हैं। आइए, इस पावन दिन पर हम सभी संकटमोचन के श्रीचरणों में अपना शीश नवाकर अपने जीवन को धन्य बनाएं।

Disclaimer (अस्वीकरण):

इस लेख में दी गई जानकारी धार्मिक ग्रंथों, पुरानी परंपराओं, और जनविश्वासों पर आधारित है।
इसका उद्देश्य केवल सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और जानकारी प्रदान करना है। पाठकों से अनुरोध है कि किसी भी धार्मिक अनुष्ठान, व्रत, या पूजा-पाठ को अपनाने से पहले अपने गुरुओं, पुरोहितों या संबंधित विशेषज्ञों से परामर्श अवश्य लें।
इस वेबसाइट का उद्देश्य किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाना नहीं है।


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