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Mohini Ekadashi: जब विष्णु भगवान ने अपनाया मोहिनी रूप 2025

Mohini Ekadashi: भगवान विष्णु की मोहिनी माया और पुण्य की अमृत वर्षा

इस वर्ष 2025 में Mohini Ekadashi (मोहिनी एकादशी ) 8 मई, गुरुवार को मनाई जाएगी, जो कि वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी है। इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु का पूजन विशेष विधान से किया जाता है, और उनका ‘मोहिनी अवतार’ स्मरण किया जाता है – जो उन्होंने समुद्र मंथन के समय देवताओं को अमृत देने हेतु धारण किया था।

Mohini Ekadashi

हिंदू धर्म की एक अत्यंत पुण्यदायी और प्रभावशाली तिथि है — Mohini Ekadashi मोहिनी एकादशी। यह व्रत न केवल आत्मशुद्धि का मार्ग है, बल्कि यह भक्तों को मोक्ष की ओर अग्रसर करता है।

🪔 Mohini Ekadashi का आध्यात्मिक महत्व

मोहिनी एकादशी का नाम आते ही श्रद्धालुओं के मन में भगवान विष्णु की मोहिनी मूरत जाग उठती है — एक ऐसा रूप जिसमें उन्होंने देवताओं की रक्षा के लिए असुरों को मोह में डाल दिया और अमृत देवताओं को सौंपा।

इस दिन व्रत करने से—

  • पापों का क्षय होता है
  • आत्मिक शांति प्राप्त होती है
  • मनुष्य की बुद्धि निर्मल होती है
  • और अंततः उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है

पुराणों के अनुसार, जो व्यक्ति मोहिनी एकादशी का व्रत श्रद्धापूर्वक करता है, उसे हजार अश्वमेध यज्ञों और सौ राजसूय यज्ञों के बराबर फल की प्राप्ति होती है।

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🌼 Mohini Ekadashi पूजन विधि – परंपरा और श्रद्धा के संगम से करें पूजन

🕉️ व्रत की तैयारी:

  • व्रत की तैयारी दशमी तिथि की संध्या से ही आरंभ करें। तामसिक भोजन त्यागें।
  • व्रत के दिन प्रातः ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें।
  • शुद्ध पीले वस्त्र धारण करें और पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें।

🌸 पूजन सामग्री:

  • पीले फूल 🌼
  • तुलसी पत्र 🌿
  • पीले फल (केला, आम) 🍌🥭
  • पीले मिष्ठान्न (बेसन लड्डू, बूंदी) 🍬
  • पंचामृत, दीपक, चंदन, धूपबत्ती

🪔 पूजन विधि:

  1. भगवान विष्णु की मूर्ति अथवा चित्र पर जल, गंगाजल, चंदन, अक्षत, पुष्प अर्पित करें।
  2. विष्णु सहस्रनाम, विष्णु अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र, और मोहिनी एकादशी व्रत कथा का पाठ करें।
  3. पीले फल व मिष्ठान का भोग लगाएं और तुलसी पत्र अवश्य चढ़ाएं।
  4. दिनभर उपवास रखें, और संभव हो तो रात्रि जागरण करें।
  5. अगले दिन द्वादशी को ब्राह्मण या गरीब को भोजन करा कर व्रत का पारण करें।

📖 Mohini Ekadashi व्रत कथा

प्राचीन काल में जब देवताओं और असुरों ने समुद्र मंथन किया, तब समुद्र से अमृत कलश निकला। उस समय असुरों ने बलपूर्वक अमृत प्राप्त करने का प्रयास किया और देवता असहाय हो गए। तब भगवान विष्णु ने ‘मोहिनी’ रूप धारण कर असुरों को मोहित किया और चतुराई से अमृत देवताओं को पिला दिया।

इसी अद्भुत घटना की स्मृति में इस व्रत का नाम “मोहिनी एकादशी” रखा गया है।

अब प्रस्तुत है एक प्रेरणादायक कथा, जो इस एकादशी से जुड़ी है:

🧓 धृष्टबुद्धि की कथा – पतन से मोक्ष की ओर यात्रा

बहुत समय पहले एक नगर था — भद्रावती। वहाँ द्यात्यसेन नामक एक वैश्य था जो अत्यंत धर्मात्मा और विष्णु भक्त था। उसके पाँच पुत्र थे, जिनमें सबसे बड़ा पुत्र था — धृष्टबुद्धि

धृष्टबुद्धि प्रारंभ में पिता के व्यापार में सहायता करता था, परंतु धीरे-धीरे वह कुसंगतियों में पड़ गया

  • वह मद्यपान, जुआ, वेश्यागमन, चोरी और हत्या जैसे पाप करने लगा।
  • पिता की संपत्ति को बर्बाद कर डाला।
  • जब पिता ने घर से निकाल दिया, तो वह वृक्षों के नीचे, जंगलों में रहने लगा, भूख-प्यास से पीड़ित होकर।

फिर एक दिन, धृष्टबुद्धि पश्चाताप में डूबा हुआ वन में भटक रहा था, और संयोग से महर्षि कौण्डिन्य के आश्रम में पहुँच गया।

🧘 ऋषि कौण्डिन्य की कृपा

धृष्टबुद्धि ने ऋषि को प्रणाम किया और अपने पापों की पूरी कथा सुनाई। वह फूट-फूटकर रोने लगा और बोला:

“हे मुनिवर! मैंने अपने जीवन में अनगिनत पाप किए हैं। अब मैं जीवन से थक चुका हूँ। कृपया कोई ऐसा मार्ग बताएं जिससे मुझे मोक्ष मिल सके।”

ऋषि कौण्डिन्य को उस पर दया आ गई। उन्होंने कहा:

“हे वत्स! तू अत्यंत भाग्यशाली है जो तुझे प्रायश्चित की भावना आई।
अब तू वैशाख शुक्ल एकादशी का व्रत कर, जिसे मोहिनी एकादशी कहते हैं।
यह व्रत समस्त पापों को हरने वाला है और पुण्य देने वाला है।”

🕉️ Mohini Ekadashi व्रत का पालन और उसका प्रभाव

धृष्टबुद्धि ने ऋषि की आज्ञा अनुसार पूर्ण श्रद्धा और नियम से मोहिनी एकादशी व्रत किया।

  • उसने उपवास रखा,
  • भगवान विष्णु की आराधना की,
  • रात्रि जागरण किया,
  • और द्वादशी को ब्राह्मणों को दान देकर व्रत का पारण किया।

इस पुण्य व्रत के प्रभाव से—

  • उसके सभी पाप नष्ट हो गए,
  • वह पुनः सत्य और धर्म के मार्ग पर लौट आया,
  • और अंततः जब उसका जीवन समाप्त हुआ, तो वह भगवान विष्णु के परमधाम – वैकुण्ठ लोक को प्राप्त हुआ

🌺 Mohini Ekadashi कथा का संदेश

इस कथा से यह सिद्ध होता है कि—

“कोई भी मनुष्य कितना भी पतित क्यों न हो, यदि वह सच्चे मन से भगवान की शरण ले, व्रत-उपवास और भक्ति के मार्ग पर चले, तो वह मोक्ष को प्राप्त कर सकता है।”

🔔 कथा पाठ का लाभ

मोहिनी एकादशी की यह कथा पढ़ने या सुनने से भी—

  • पापों का नाश होता है,
  • पुण्य की वृद्धि होती है,
  • और भगवान विष्णु की कृपा सहज ही प्राप्त होती है।

🍛 Mohini Ekadashi भोग में अर्पित करें ये पीले पदार्थ

भगवान विष्णु को पीला रंग प्रिय है, अतः इस दिन उनका पूजन पीले पुष्पों, पीले फलों और पीले मिष्ठान्नों से किया जाता है।

  • आम, केला 🍌🥭
  • बेसन लड्डू, बूंदी 🍬
  • मूंग दाल की खीर 🍚
  • पंचामृत 🍯
  • पीले वस्त्र और पीला आसन 🌕

🧘Mohini Ekadashi व्रत पालन के नियम

  • दशमी रात्रि से ही सात्विक आहार लें
  • व्रत के दिन पूर्ण उपवास रखें (या फलाहार)
  • दिनभर मन, वचन और कर्म से पवित्र रहें
  • किसी की निंदा, झूठ, क्रोध और कटु वचन से बचें
  • विष्णु मंत्र का जप करें – “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”

🙏 Mohini Ekadashi व्रत का पुण्य फल और महत्व

जो श्रद्धालु मोहिनी एकादशी का व्रत विधिवत करते हैं, उन्हें—

  • जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्ति
  • जीवन में सुख, शांति, समृद्धि
  • ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति
  • अंततः विष्णुलोक की प्राप्ति होती है ।

यह व्रत भगवान विष्णु के मायामय, मोहक और मंगलकारी स्वरूप का प्रतीक है।

📌 अस्वीकरण (Disclaimer)

इस लेख में दी गई मोहिनी एकादशी व्रत कथा, पूजा विधि, तथा धार्मिक मान्यताएँ विभिन्न पुराणों, शास्त्रों, और परंपरागत स्रोतों पर आधारित हैं। इसका उद्देश्य केवल धार्मिक और सांस्कृतिक जानकारी प्रदान करना है।

हम यह दावा नहीं करते कि इसमें दी गई सभी बातें वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित हैं।

व्रत या पूजा विधि अपनाने से पहले किसी अनुभवी पंडित, आचार्य या धार्मिक गुरु की सलाह अवश्य लें।

इस लेख में दी गई जानकारी से उत्पन्न किसी भी धार्मिक या स्वास्थ्य संबंधित निर्णय के लिए लेखक या प्रकाशक उत्तरदायी नहीं होंगे।

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