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त्रिमूर्ति में सबसे महान कौन? जानिए ऐतिहासिक निर्णय की पूरी कथा! 2025

हिंदू धर्म में ब्रह्मा, विष्णु और महेश (शिव) को त्रिमूर्ति कहा जाता है। ब्रह्मा सृष्टि के रचयिता, विष्णु पालनकर्ता, और शिव संहारकर्ता हैं। लेकिन असली सवाल यह है कि त्रिमूर्ति में सबसे महान कौन? – ब्रह्मा, विष्णु या महेश? क्या रचना सबसे बड़ी शक्ति है? या पालन करना सबसे महान कार्य है? या फिर संहार करना ही सर्वोच्च है?

 त्रिमूर्ति में सबसे महान कौन?

यह प्रश्न इतना पेचीदा था कि खुद देवताओं और ऋषि-मुनियों के बीच भी मतभेद हो गया! आइए उस ऐतिहासिक घटना को जानें, जिसने इस गूढ़ प्रश्न का उत्तर देने की कोशिश की।

एक बार सरस्वती नदी के किनारे बड़े-बड़े ऋषि-मुनि एकत्र हुए। वहां महर्षि वशिष्ठ, अत्रि, अंगिरा, गौतम, कश्यप, जमदग्नि और भारद्वाज जैसे महान ऋषि उपस्थित थे।

अचानक चर्चा छिड़ गई—”त्रिमूर्ति में सबसे महान कौन?

  • कुछ ऋषि बोले, “ब्रह्मा जी सबसे बड़े हैं, क्योंकि उन्होंने इस सृष्टि की रचना की!”
  • कुछ ने कहा, “नहीं, विष्णु जी सबसे श्रेष्ठ हैं, क्योंकि वे सृष्टि का पालन करते हैं!”
  • वहीं कुछ ने शिव जी का पक्ष लिया—“जो संहार करता है, वही असली महान होता है!”

अब समस्या यह थी कि सही उत्तर कौन बताए? यह विवाद इतना बढ़ गया कि इसे सुलझाने के लिए सभी ने मिलकर महर्षि भृगु को यह जिम्मेदारी दी कि वे इस प्रश्न का उत्तर खोजें।

महर्षि भृगु ब्रह्मा जी के मानस पुत्र थे और वे इस जिम्मेदारी को लेकर बहुत गंभीर थे। उन्होंने निश्चय किया कि वे तीनों देवताओं की परख करेंगे और देखेंगे कि कौन सबसे महान है।

सबसे पहले महर्षि भृगु ब्रह्मा जी के लोक में पहुंचे। वे सीधा ब्रह्मा जी के महल में गए लेकिन ब्रह्मा जी ने उनकी ओर ध्यान ही नहीं दिया!

महर्षि भृगु क्रोधित हो गए!

उन्होंने देखा कि ब्रह्मा जी अपने ही सृजन में इतने मग्न थे कि वे अपने पुत्र के आने की भी परवाह नहीं कर रहे थे।

तब उन्होंने ब्रह्मा जी को श्राप दे दिया—
“आज से आपकी पृथ्वी पर कोई पूजा नहीं करेगा!”

इस श्राप के कारण आज भी ब्रह्मा जी के मंदिर बहुत कम देखने को मिलते हैं।

इसके बाद महर्षि भृगु शिव लोक पहुंचे। शिव जी गहरे ध्यान में थे। भृगु ऋषि ने उनका ध्यान भंग करने के लिए उन्हें पुकारा, लेकिन शिव जी की आँखें नहीं खुलीं।

महर्षि भृगु ने और जोर से पुकारा, फिर भी शिव जी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी!

यह देख महर्षि भृगु क्रोधित हो गए और उन्होंने शिव जी का अपमान कर दिया।

शिव जी ने जब यह सुना तो उनका तीसरा नेत्र खुलने वाला था! अगर ऐसा होता, तो पूरी सृष्टि जलकर राख हो जाती! लेकिन माता पार्वती ने तुरंत शिव जी को शांत किया।

इसी कारण शिवलिंग की पूजा सबसे अधिक की जाती है।

अब महर्षि भृगु भगवान विष्णु के लोक वैकुंठ पहुंचे।

भगवान विष्णु शेषनाग पर लेटे हुए थे। भृगु ऋषि ने क्रोध में आकर विष्णु जी के सीने पर एक जोरदार लात मार दी!

अब सोचिए, अगर कोई दूसरे देवता होते तो वे तुरंत भृगु ऋषि को श्राप दे देते। लेकिन विष्णु जी ने ऐसा नहीं किया।

वे तुरंत उठे, और झुककर भृगु ऋषि के पैर सहलाने लगे।

“हे महर्षि, क्या आपके पैर में चोट तो नहीं लगी?”

यह देख भृगु ऋषि का हृदय परिवर्तन हो गया। वे समझ गए कि सच्चा महान वही होता है, जिसके अंदर अहंकार ना हो, जो करुणामय हो और जो हर प्राणी के प्रति प्रेम रखता हो।

✨ निष्कर्ष – त्रिमूर्ति में सबसे महान कौन?

अब सवाल यह उठता है कि क्या केवल महर्षि भृगु का निर्णय अंतिम सत्य है?

सत्य यह है कि—

ब्रह्मा जी के बिना सृष्टि की रचना संभव नहीं होती।
विष्णु जी के बिना संसार का पालन नहीं होता।
शिव जी के बिना जीवन और मृत्यु का संतुलन नहीं बनता।

इसलिए तीनों महान हैं!

🙏 अंतिम विचार – कौन हैं सबसे महान?

त्रिमूर्ति एक साथ मिलकर इस सृष्टि को संतुलित रखते हैं। लेकिन यदि दयालुता, सहनशीलता और प्रेम को महानता का आधार माना जाए, तो भगवान विष्णु सबसे महान साबित होते हैं।

त्रिमूर्ति में सबसे महान कौन? आपका क्या विचार है? हमें कमेंट में जरूर बताएं! 🚩🔥

ब्रह्मा जी की पूजा क्यों नहीं होती?

महर्षि भृगु के श्राप के कारण और क्योंकि ब्रह्मा जी ने एक बार अपनी ही पुत्री सरस्वती जी से विवाह करने का विचार किया था, जिससे अन्य देवताओं ने उन्हें सम्मान नहीं दिया।

शिव जी की पूजा लिंग रूप में क्यों होती है?

महर्षि भृगु के श्राप और शिव जी के ध्यान में मग्न रहने के कारण लोग उनकी मूर्ति नहीं, बल्कि शिवलिंग की पूजा करते हैं।

भगवान विष्णु को क्यों सबसे महान माना गया?

क्योंकि उन्होंने क्रोध नहीं किया, बल्कि सहनशीलता और करुणा दिखाई, जिससे वे सबसे अधिक प्रिय देवता बन गए।

क्या ब्रह्मा जी के कोई मंदिर हैं?

हां, भारत में पुष्कर (राजस्थान) में ब्रह्मा जी का प्रसिद्ध मंदिर है, लेकिन अन्य देवताओं की तुलना में उनकी पूजा बहुत कम होती है।

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