अक्षय तृतीया 2025: सुख, समृद्धि और शुभ आरंभ का अनुपम पर्व
अक्षय तृतीया 2025
भारतवर्ष में हर पर्व का अपना एक अद्वितीय महत्व है, लेकिन अक्षय तृतीया का त्योहार एक ऐसी खास तारीख है जो सभी शुभ कार्यों की शुरुआत का प्रतीक बनती है। यह दिन न केवल हमारे धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन का हिस्सा है, बल्कि यह धन, समृद्धि और सुख का संदेश भी लाता है।

अक्षय तृतीया 2025 एक ऐसा पर्व है, जब हर शुभ कार्य को बिना किसी विशेष मुहूर्त के किया जा सकता है। यह दिन धन, समृद्धि और पुण्य की प्राप्ति का प्रतीक है, और विशेष रूप से परशुराम जयंती के साथ मनाया जाता है।
क्या आपने कभी सोचा है कि क्यों इस दिन कोई भी शुभ कार्य बिना मुहूर्त देखे शुरू किया जा सकता है? क्यों लोग इस दिन सोने, चांदी, भूमि या वाहन का लेन-देन करते हैं? क्यों शक्ति, समृद्धि और पुण्य का आशीर्वाद पाने के लिए लोग अपने घरों में पूजा करते हैं?
आखिर क्या है इस दिन की शक्ति, जो इसे ‘अक्षय’ (जो कभी खत्म न हो) बनाती है? और क्यों परशुराम जयंती के साथ यह दिन इतिहास और धर्म का संगम बनता है? आइए, इस लेख के माध्यम से हम जानते हैं अक्षय तृतीया की गहरी महिमा, धार्मिक महत्व और इस दिन की विशेष पूजा विधि, ताकि आप जान सकें कि क्यों इस दिन का हर एक पल हमारे जीवन में अक्षय (अविनाशी) पुण्य अर्जित करने का मौका देता है।
इस दिन का हर क्षण इतना शुभ होता है कि इसे ‘अबूझ मुहूर्त’ कहा जाता है — यानी ऐसा दिन जिस पर कोई भी शुभ कार्य बिना मुहूर्त देखे किया जा सकता है।
‘अक्षय’ शब्द का अर्थ है – जो कभी क्षय न हो। मान्यता है कि इस दिन किए गए धर्म, दान और पूजन के फल कभी समाप्त नहीं होते। यह दिन धार्मिक आस्था, समृद्धि और शांति का प्रतीक है।
🗓️ अक्षय तृतीया 2025: तिथि, शुभ मुहूर्त एवं पंचांग विवरण
जानकारी | विवरण |
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तिथि | बुधवार, 30 अप्रैल 2025 |
तृतीया तिथि प्रारंभ | 29 अप्रैल 2025 को शाम 5:31 बजे |
तृतीया तिथि समाप्त | 30 अप्रैल 2025 को दोपहर 2:12 बजे |
पूजन का शुभ मुहूर्त | सुबह 6:07 बजे से दोपहर 12:37 बजे तक |
🔔 विशेष बात: 2025 में अक्षय तृतीया के दिन परशुराम जयंती भी मनाई जाएगी, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है।
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🕉️ पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व
📖 1. भगवान परशुराम का जन्म
इस दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम जी का जन्म हुआ था। वे न्याय, धर्म और शक्ति के प्रतीक हैं। उन्होंने अत्याचारी क्षत्रियों का विनाश कर समाज में संतुलन स्थापित किया।
🌊 2. गंगा अवतरण
कहा जाता है कि इस दिन मां गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर उतरीं थीं। इसलिए यह दिन पवित्र स्नान और जलदान के लिए उत्तम माना जाता है।
🍲 3. पांडवों को मिला अक्षय पात्र
महाभारत काल में भगवान श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को एक ऐसा पात्र दिया था जिससे कभी अन्न समाप्त नहीं होता था। इसे ही अक्षय पात्र कहा गया, जो अक्षय तृतीया की मूल भावना का प्रतीक है।
📜 4. त्रेता युग की शुरुआत
पुराणों के अनुसार, इसी दिन त्रेता युग का आरंभ हुआ था — जिस युग में भगवान राम का जन्म हुआ।
💍 क्या खरीदें इस दिन और क्यों?
🪙 1. सोना-चांदी खरीदें
- यह परंपरा है कि इस दिन सोना या चांदी खरीदने से घर में अक्षय लक्ष्मी का वास होता है।
- व्यापारियों के लिए यह दिन नए खाता-बही की शुरुआत का होता है — जिसे ‘हले खाता’ कहा जाता है।
🚗 2. वाहन या संपत्ति की खरीदारी
- इस दिन वाहन, ज़मीन, मकान जैसी संपत्तियों की खरीद को अत्यंत शुभ माना जाता है।
👗 3. नए वस्त्र और आभूषण
- नवविवाहित जोड़े इस दिन नए जीवन की शुरुआत करते हैं। कई स्थानों पर विवाह भी इसी दिन संपन्न होते हैं।
🪔 पूजा-विधि (Auspicious Rituals)
- प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- घर के मंदिर में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें।
- हल्दी, चंदन, अक्षत, पुष्प अर्पित करें।
- विष्णु सहस्त्रनाम, श्री सूक्त या लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करें।
- गरीबों को अन्न, वस्त्र, जल, सोना, घी आदि का दान करें।
🧠 रोचक तथ्य (Interesting Facts)
- जैन धर्म में यह दिन भगवान ऋषभदेव की पहली भिक्षा प्राप्ति के रूप में मनाया जाता है।
- ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रत्नों से बनी पोशाक (चंदन यात्रा) की शुरुआत इसी दिन होती है।
- कई लोग इस दिन तुलसी, पीपल, और आँवला के पौधे लगाते हैं।
🙏 परशुराम जयंती 2025
जानकारी | विवरण |
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तिथि | 29 अप्रैल 2025 |
उपवास काल | सूर्योदय से संध्या तक |
पूजन देवता | भगवान परशुराम |
👉 परशुराम जी को कठोर तपस्वी, न्यायप्रिय योद्धा और गुरु परंपरा के संरक्षक के रूप में पूजा जाता है। उन्हें शस्त्र और शास्त्र दोनों में निपुण माना जाता है। माना जाता है कि वे आज भी जीवित हैं और कलियुग के अंत में भगवान कल्कि को दिव्य अस्त्र देंगे।
निष्कर्ष:
अक्षय तृतीया केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि शुभ आरंभ, पुण्य लाभ और आध्यात्मिक उत्थान का दिन है। इस दिन भगवान परशुराम का जन्म और मां गंगा का अवतरण, दोनों ही इसे विशिष्ट बनाते हैं। शुभ कार्यों, दान और पूजन से इस दिन को सार्थक बनाएं।
📜 डिस्क्लेमर (Disclaimer)
यह लेख केवल सूचना और शैक्षिक उद्देश्य के लिए लिखा गया है। यहां दी गई जानकारी धार्मिक, सांस्कृतिक और पारंपरिक मान्यताओं पर आधारित है। पाठकों से अनुरोध है कि वे किसी भी धार्मिक या सांस्कृतिक कार्य को करने से पहले अपने स्थानीय धर्मगुरु या विशेषज्ञ से परामर्श लें।
इस लेख में दी गई तिथियां और मुहूर्त पारंपरिक पंचांग और उपलब्ध ज्योतिषीय गणनाओं पर आधारित हैं, लेकिन पाठक कृपया सुनिश्चित करें कि वे अपने स्थान विशेष के अनुसार तिथि और समय की पुष्टि करें।
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